मनीष सिसोदिया को जमानत मिल गई है। जमानत तो मनीष सिसोदिया को मिली, लेकिन फटकार मोदी सरकार को मिली है, जिसकी एजेंसियां जेल में रखने के लिए एक के बाद एक मुकदमे दायर करती रहती हैं और तरह-तरह के तरीके अपनाती रहती हैं ताकि जमानत ना मिले। कानून की खामियों और प्रावधानों का उपयोग करके लोगों को जेल में डाले रखने का प्रबंध करने में इन एजेंसियों को लगा दिया गया है। ऐसा लगता है कि जिन्हें सरकार पसंद नहीं करती, जो सरकार के आलोचक हैं, विपक्ष के नेता हैं, उनके खिलाफ यह सब किया जा रहा है।

अब आपके सामने अनेक फैसले हैं, जिनमें आप देख सकते हैं कि ईडी, सीबीआई, एनआईईए को कैसे फटकार पड़ी है। सुप्रीम कोर्ट ने इनकी सख्त आलोचना की है। यह हाल है उस एजेंसी का जो देश की केंद्रीय एजेंसी है। इसकी क्या साख रह गई है आज अदालत से लेकर जनता की निगाह में। कोर्ट में ईडी की हालत देखकर मेरा सुझाव है कि ईडी का नाम ‘ईजी’ रख देना चाहिए, जिसके लिए किसी को भी जेल में डाल देना इजी हो। मनीष सिसोदिया जी की जमानत जोरदार तमाचा है तानाशाही के ऊपर, हिटलर शाही के ऊपर, और मोदी सरकार के जुल्म के ऊपर।
17 महीने आपने एक ऐसे व्यक्ति को जेल में रखा, जिसके खिलाफ एक सबूत नहीं था। एक रुपए की बरामदगी नहीं हुई, कोई जमीन जायदाद का कागज नहीं मिला, गांव खोद डाला, बैंक खोद डाला, घर खोद डाला, लेकिन ईडी और सीबीआई वाले तारीख पर तारीख डालते रहे। 17 महीने आपने सिर्फ और सिर्फ एक प्रयास किया कि मनीष सिसोदिया कैसे जेल में रहे। आज माननीय सर्वोच्च न्यायालय का फैसला न्याय व्यवस्था की जीत है, लोकतंत्र की जीत है, और दिल्ली और देश के लोगों की भावनाओं की जीत है। पूरा देश यह मानता है कि शिक्षा के क्षेत्र में अद्भुत और अनुकरणीय काम मनीष सिसोदिया ने किया और आपने ऐसे व्यक्ति को पकड़ के जेल में डाल दिया।
आज के फैसले से एक बार फिर इन एजेंसियों के नकारेपन का चेहरा उजागर हो गया है। जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के व विश्वनाथन ने बेल ना देने को लेकर ट्रायल कोर्ट से लेकर हाई कोर्ट तक को सुनाया है। 21 मई को दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा और फिर 4 जून को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस संदीप मेहता की वेकेशन बेंच ने सिसोदिया को जमानत नहीं दी। सुप्रीम कोर्ट ने 4 जून के फैसले को भी पलट दिया।
मनीष सिसोदिया Supreme Court Verdict:
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस गवई ने कहा कि सवाल है कि क्या ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट ने इस बात पर विचार भी किया है कि ट्रायल में देरी हो रही है। हमारी नजर में इसे अनदेखा किया गया है। कोर्ट ने कहा है कि हमने महसूस किया है कि जमानत देने के मामलों में निचली अदालतें सेफ खेल रही हैं। ओपन एंड शट मामलों में भी जमानत देने के नियम की कई बार पालना नहीं होती, जिसके चलते सर्वोच्च न्यायालय के पास जमानत याचिकाओं का ढेर लग जा रहा है। समय आ गया है कि ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट समझे कि जमानत नियम है और जेल अपवाद।
इस केस में 493 गवाह हैं, हाल के भविष्य में भी ट्रायल के पूरा होने की कोई संभावना नजर नहीं आती। अपीलेट यानी कि मनीष सिसोदिया जी ने ट्रायल को डिले किया है, उसको सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि ट्रायल कोर्ट का फाइंडिंग को डिस्कार्ड किया गया है। यह भी आज सुप्रीम कोर्ट ने एक बहुत अहम बात कही है कि बेल के मामले में ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट को थोड़ा सेंसिटिव होना चाहिए ताकि सुप्रीम कोर्ट में इतनी सारी बेल पिटीशन ना आएं।
जस्टिस बी आर गवई ने कहा है कि एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू का कहना कि 3 जुलाई तक जांच पूरी हो जाएगी, अपने आप में विरोधाभासी बात है। 3 जुलाई से पहले ट्रायल कैसे शुरू हो सकती है? इस बात की कोई संभावना नहीं कि ट्रायल छह महीने में पूरी होने जा रही है। जमानत की खबर आते ही मनीष सिसोदिया के घर में जश्न मनाया जाने लगा। क्यों नहीं मनाया जाता? आखिर इस परिवार ने इन 17 महीनों में क्या-क्या नहीं देखा और झेला। मनीष सिसोदिया की पत्नी लगातार बीमार रही। कोर्ट से परोल पर उन्हें अपनी पत्नी की देखभाल के लिए आना पड़ा।
दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें हफ्ते में एक दिन अपनी पत्नी से मिलने की इजाजत दी, एजेंसियों की निगरानी में। 17-18 महीने से यह शख्स जेल में रखा गया उस केस में जिसकी ट्रायल कब पूरी होगी इसका जवाब एजेंसी के पास ही नहीं है। यह है भारत सरकार की उस एजेंसी का पेशेवर काम जिसे मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार से लड़ने की खुली छूट दे रखी है। राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने ठीक कहा कि मनीष सिसोदिया को साधारण केस में 17 महीने जेल में रखा गया है। इसका हिसाब कौन देगा? क्या बीजेपी देगी? क्या प्रधानमंत्री देंगे?
इन 17 महीनों में सिसोदिया कितना कुछ कर सकते थे। मनीष सिसोदिया को 26 फरवरी 2023 के दिन सीबीआई ने गिरफ्तार किया और उसके कुछ दिनों के बाद 9 मार्च को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया। 17 महीने से जेल में हैं। मैं संसद में इस सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाता था। मुझे पकड़ कर छह महीने जेल में रखा गया। मकसद जांच करना नहीं है, मकसद है विपक्ष के लोगों को पकड़-पकड़ के जेल में डालना।
प्रधानमंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि मनीष सिसोदिया की जिंदगी के जो 17 महीने बर्बाद हुए, उसका हिसाब कौन देगा? मनीष सिसोदिया की पत्नी, उनके बच्चे, उनके परिवार ने जो मानसिक प्रताड़ना झेली, उसका जवाब कौन देगा? 5 अगस्त 2024 को सिसोदिया की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जस्टिस केवी विश्वनाथन ने ईडी के वकील एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से पूछा कि आखिर सरकारी नीति और आपराधिक यानी क्रिमिनलिटी के बीच कहां पर रेखा खींची जाएगी? क्या सिर्फ इसलिए अपराधिक मानी जा सकती है कि नीति में बदलाव से कुछ थोक शराब विक्रेताओं को लाभ पहुंचा?
कोर्ट ने एक अहम सवाल पूछा कि आप किसी नीति और भ्रष्टाचार में कैसे फर्क करते हैं? कानून विद इंदिरा जयसिंह ने कहा कि सबसे अहम सवाल यही है इस पूरे मामले में। शराब नीति थी जिसे दिल्ली सरकार ने बनाई और वापस ले ली। मनीष सिसोदिया को 530 दिनों तक जेल में रखा गया। अब इस बात पर यह केस गिर जाता है, तो इससे बड़ा अन्याय क्या होगा? क्या इतना आसान हो गया है कि किसी को भी पकड़कर जेल में डाल दिया जाए और गोदी मीडिया से उसे अपराधी साबित कर दिया जाए?
अगर आपको लगता है कि ऐसा नहीं हो रहा है, तो फिर आपको झारखंड हाई कोर्ट का फैसला याद करना चाहिए। कोर्ट ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जमानत देते हुए सबूतों को लेकर क्या कहा था, एक बार पलट कर देखना चाहिए। जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय ने कहा कि ईडी का केस परिस्थिति जन्य साक्ष्यों से भरा है। हमारे पास यह मानने के पर्याप्त कारण हैं कि आरोपी का कथित जुर्म में कोई हाथ नहीं है। इस आधार पर ईडी को जमानत में हार का सामना करना पड़ा कि जुर्म में आरोपी हेमंत सोरेन का कोई हाथ नहीं है।
उसके बाद भी ईडी सुप्रीम कोर्ट चली गई और वहां भी हार गई। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। आखिर किसके इशारे पर हेमंत सोरेन को 5 महीने के लिए जेल में डाला गया? इन अफसरों पर कार्रवाई कब होगी और जवाबदेही कब तय होगी? अरविंद केजरीवाल के मामले में तो कई गुना आप आगे चले गए। ईडी कोर्ट ने जमानत दे दी, बगैर ऑर्डर की कॉपी के न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार रिहाई पर आपकी ईडी ने जाकर रोक लगवा दी और जबरदस्ती नया मामला सीबीआई का बना के केजरीवाल जी को आपने जेल में रखा है।
अब भी जरा सी भी शर्म है, प्रधानमंत्री जी, तो आगे बढ़िए और इस राजनीति को खत्म कीजिए। जो हमारे नेताओं को आपने जबरन जेल में रखा है, अपनी एजेंसियों को कहिए कि फालतू का न्यायालय में विरोध करना बंद करें। आपके पास कोई सबूत ही नहीं है। आम आदमी पार्टी का हाल देखकर लगता है कि पूरी पार्टी ही जेल में है या जो जेल में नहीं है वह जेल में जाने वाला है, या जो जेल में जाने वाला है वह बचने के लिए बीजेपी में जाने वाला है। आखिर गृहमंत्री कैसे इस बात का जवाब देंगे?
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