Hindi News

Mob Lynching लिखने से FIR? मॉब लीचिंग की घटना क्यों नहीं रुक रही है?

Mob Lynching की घटना पर रिपोर्ट कैसे की जाए क्योंकि Mob Lynching है या नहीं इसे लेकर पुलिस के अलग बयान होते हैं, परिवार वालों के अलग और मीडिया के अलग। आप केवल पुलिस के बयान पर ही भरोसा नहीं कर सकते।

Mob Lynching

हाल ही में छत्तीसगढ़ के रायपुर में घटना हुई तो बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के लोग उन पुलिस अफसरों पर कार्रवाई करने की मांग करने लगे जिन्होंने एक मामले में Mob Lynching के आरोप लगाए। दूसरी तरफ, पश्चिम यूपी की शामली में पुलिस ने कुछ पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर कर दी है क्योंकि पुलिस मानती है कि इन्होंने Mob Lynching लिखकर भ्रम और तनाव फैलाने का प्रयास किया है। पुलिस कभी ऐसे धार्मिक संगठनों के खिलाफ एफआईआर नहीं कर पाती है, लेकिन पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर कर दी गई।

भीड़ की हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस के लिए व्यापक दिशा-निर्देश दिए हैं और केंद्र और राज्य सरकारों से कहा है कि टीवी और रेडियो अखबारों में इसका व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए कि भीड़ की हिंसा या उन्मादी हिंसा में शामिल होने पर गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।

लेकिन क्या ऐसा लगातार किया जाता है? लगातार अब सुप्रीम कोर्ट से पूछा जाए कि पत्रकार किसी घटना को Mob Lynching कब कहे इसके लिए किसके बयान पर भरोसा करें? हम इन सवालों के साथ-साथ हाल की कुछ घटनाओं के बारे में भी बात करेंगे जिन्हें Mob Lynching से जोड़ा जा रहा है।

यह भी पढ़ें:

मगर शुरुआत हम 9 जुलाई के टेलीग्राफ और द हिंदू में छपी एक रिपोर्ट से करना चाहते हैं ताकि हम मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) के पीछे के कई कारणों में से एक की राजनीति को ठीक से समझ सकें। टेलीग्राफ में सुभाशीष चौधरी और द हिंदू में विजेता सिंह की रिपोर्ट तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा के एक आरोप को लेकर है।

महुआ ने अपने ट्विटर पर आरोप लगाया है कि बीजेपी के सांसद और केंद्रीय जहाज रानी राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर ने अपने लेटर हेड पर एक फॉर्म प्रिंट किया है और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) से आग्रह किया है कि एक व्यक्ति को बांग्लादेश 3 किलो बीफ ले जाने की अनुमति दी जाए।

शांतनु ठाकुर ने इसे स्वीकार किया लेकिन कहा कि उन्होंने किसी स्मगलर को पास देने के लिए नहीं कहा है। भारत-बांग्लादेश सीमा पर बीएसएफ इस पार से उस पार जाने वालों के सामान की तलाशी लेती है। उन्हीं चीजों को ले जाने दिया जाता है जिसकी अनुमति ग्राम पंचायत पहले से देता है।

अब इन ग्राम पंचायतों पर तृणमूल कांग्रेस का वर्चस्व है तो राजनीति के हिसाब से अनुमति दी जाती है। यह सब शांतनु ठाकुर का बयान है। उनका बयान इंडियन एक्सप्रेस में छपा है कि बीएसएफ के हाथों लोगों को किसी तरह की परेशानी ना हो इसलिए पत्र लिखा। बीएसएफ की तरफ से छपा है कि हम लोगों को मवेशी ले जाने की अनुमति नहीं देते लेकिन बीफ ले जाने से नहीं रोकते हैं।

द हिंदू में भी लिखा है कि तृणमूल के काउंसलर बीफ ले जाने के लिए हर दिन ऐसे 80 पास जारी करते हैं। बीफ ले जाने के लिए बीजेपी के सांसद पत्र लिख देते हैं, तृणमूल कांग्रेस के काउंसलर भी। कितनी सामान्य बात है। इलेक्टोरल बॉन्ड का जब पर्दाफाश हुआ तब यह जानकारी निकल कर आई कि बीजेपी ने बीफ निर्यात करने वाली कंपनी से 2 करोड़ का चंदा लिया।

हमने इन उदाहरणों का जिक्र इसलिए किया क्योंकि उस पगडंडी की तलाश में हैं जिसके सहारे मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) की बढ़ती घटनाओं को नए सिरे से रिपोर्ट कर सकें। आपको समझा सकें कि बंगाल में कितना नॉर्मल है बीजेपी के नेता का बीफ ले जाने के लिए पत्र लिख देना।

लेकिन वहीं दूसरे राज्यों में इसी बीफ को लेकर कुछ लोग गौरक्षक बन जाते हैं और किसी को भी घेर कर उसकी हत्या कर देते हैं। पिछले 10 वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं।

4 जून के बाद हुई मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) की कई घटनाएं देश भर में रिपोर्ट हो रही हैं। मगर उनमें से कुछ की बात करने से पहले हम एक पुरानी घटना से शुरू करना चाहते हैं जो इस बहस को टॉर्च की रोशनी दिखाने का काम कर सकती है। जून 2018 में यूपी के हापुड़ में गौ कशी की अफवाह के बाद भीड़ ने 42 साल के कासिम कुरेशी की हत्या कर दी। इस हमले में 62 साल के समय दिन बुरी तरह घायल हुए मगर बच गए।

यह मामला मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) का था मगर एफआईआर में इसे मोटरसाइकिल एक्सीडेंट बना दिया गया। समय दिन सुप्रीम कोर्ट गए। कोर्ट ने मेरठ रेंज के आईजी से कहा कि भीड़ की हिंसा को लेकर जो दिशा-निर्देश तय किए गए हैं उसी के आधार पर इस घटना की जांच की जाए।

इसी साल मार्च में स्थानीय अदालत ने कासिम कुरेशी की हत्या के मामले में 10 लोगों को दोषी पाया और उम्र कैद की सजा सुनाई। एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज श्वेता दीक्षित ने अपने 157 पन्नों के फैसले में लिखा है कि जिस तरह से एक निर्दोष व्यक्ति कासिम कुरेशी को मारा गया वह पूरे समाज के लिए खतरा है और चेतावनी भी।

हमने यह जानकारी द वायर के उमर राशिद की रिपोर्ट से ली है। इस केस को सुप्रीम कोर्ट की वकील वृंदा ग्रोवर ने लड़ा। कई रिपोर्ट में वृंदा ग्रोवर का नाम भी नहीं है। यह ठीक बात नहीं है। हापुड़ कोर्ट ने पुलिस की जांच पर कई गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया गया। आरोपियों की पहचान परेड नहीं कराई गई। तब हुई जब समय दिन खुद इसके लिए सुप्रीम कोर्ट गए और आदेश लेकर आए।

जज श्वेता दीक्षित ने लिखा है कि 16 जून 2018 की घटना के बाद एफआईआर लिखते समय पुलिस ने समय दिन के भाई यासीन पर दबाव डाला। गलत जानकारियां जोड़ी गईं कि कुरेशी की मौत मोटरसाइकिल दुर्घटना में हो गई।

कोर्ट ने कहा कि कासिम कुरेशी और समय दिन पर गौ मांस ले जाने की अफवाह के बाद जानलेवा हमला हुआ था, ना कि मोटरसाइकिल दुर्घटना हुई थी। पूरी जांच के दौरान कहीं भी मोटरसाइकिल के मालिक का मोटरसाइकिल के नंबर तक का जिक्र नहीं था।

तो यह हाल है पुलिस का और उसकी जांच का। अगर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश नहीं दिया होता तो क्या यह सब सामने आता? अब आते हैं शामली मामले में जहां पुलिस कहती है मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) नहीं हुई लेकिन कुछ पत्रकारों ने सोशल मीडिया और या जो भी इस तरह की हिंसा में शामिल रहे हैं उन्हें सजा दिलाने पर जोर होना चाहिए या पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर होनी चाहिए।

इस हिसाब से तो हापुड़ की घटना के समय जिस पत्रकार ने मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) लिखा था उन्हें पुलिस की बात मानकर मोटरसाइकिल दुर्घटना ही लिखनी चाहिए थी। स्क्रोल ने शामली के थाना भवन के एसएचओ से बात कर लिखा है कि भाषित की यह चैनल बिहार के पत्रकार सदफ कामरान का है। इसके 3 लाख सब्सक्राइबर्स हैं। कामरान का कहना है कि उन्होंने परिवार वालों से बात की थी जो एफआईआर में लिखा है उसके आधार पर रिपोर्ट बनाई।

कामरान का यह भी कहना है कि अगर मैंने न्यूज़ की रिपोर्टिंग की है तो एफआईआर कैसे हो सकती है? यह बात ठीक है। इस एफआईआर से पहले पुलिस ने 6 जुलाई को एक और एफआईआर दर्ज की थी जिसमें पत्रकार जाकिर अली त्यागी, वसीम अक्रम त्यागी के अलावा तीन अन्य लोगों पर सोशल मीडिया पर भ्रामक जानकारी फैलाने के आरोप में एफआईआर की। इन तीनों के नाम हैं आसिफ राणा, सैफ इलाहाबादी और अहमद रजा खान।

एफआईआर में फिरोज के परिवार वालों ने आरोप लगाया है कि वह कुछ काम से आर्यनगर गया था जहां कुछ लोगों ने उसकी पीट-पीट कर हत्या कर दी। शामली के एसपी अभिषेक ने भी स्क्रोल से कहा है कि यह मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) का केस नहीं है।

फिरोज किसी के घर में घुसने का प्रयास कर रहा था, उस दौरान पीटा गया। पोस्टमार्टम किया गया है। पुलिस का कहना है कि तनाव फैलाने के इरादे से सोशल मीडिया पर मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) का मामला बनाया गया।

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, इंडियन वमन प्रेस कोर और ऑनलाइन न्यूज़ मीडिया की संस्था डीजी पब ने पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर की निंदा की है। डीजी पब ने कहा है कि जनहित में न्यूज़ प्रकाशित करने पर पत्रकार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करना क्रिमिनल लॉ का दुरुपयोग है।
पुलिस को एफआईआर वापस लेनी चाहिए। शामली की घटना 4 जुलाई की है। फिरोज की हत्या के मामले में पुलिस ने पिंकी, पंकज, राजेंद्र और उनके साथियों को नामजद किया है। यह सब हम मीडिया रिपोर्ट के आधार पर ही बता रहे हैं।

पुलिस ने पत्रकारों और अन्य के खिलाफ 7 जुलाई को एफआईआर दर्ज की है। भारत में मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) की घटनाएं 2015 से बढ़ीं जब झारखंड के आदिवासी इलाकों में अफवाहें फैलाई गई कि बच्चा चोर घूम रहे हैं। कई वीडियो फुटेज हैं जिनमें देखा जा सकता है कि बच्चे की खोज में कई आदिवासी इलाकों में पुलिस की गाड़ियों को भीड़ ने घेर लिया। पुलिस किसी तरह भागने में सफल हुई। वैसे बच्चा चोर की अफवाह की ही तरह बीफ ले जाने की अफवाह भी हाल के वर्षों में भयानक रही है।

गौ रक्षा का हवाला देकर कानून अपने हाथ में लेने वालों को किसी तरह की सजा नहीं मिलती है। तभी इस तरह की घटनाएं बढ़ती हैं। पीएम मोदी ने 2017 में साबरमती आश्रम में मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर चिंता जाहिर की थी।

हम आपको यह भी याद दिलाना चाहते हैं कि 17 जुलाई 2018 को तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) को रोकने के लिए राज्यों को आदेश दिया था कि भीड़ की हिंसा के लिए नोडल अफसर नियुक्त करें।

राज्य अपने-अपने जिलों में संवेदनशील इलाकों को चिन्हित करें और वहां विशेष सतर्कता रखें। सुप्रीम कोर्ट ने संसद से भी मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) रोकने के लिए नया कानून बनाने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद कई राज्य नोडल अफसर नियुक्त नहीं करते हैं। फिर जब ऐसी घटनाएं होती हैं तो उन्हें गंभीरता से भी नहीं लिया जाता है।

अलवर के पहलू खान के केस में सबूत के अभाव में सब बरी हो गए। पुलिस की जांच पर सवाल उठा। आप देखें कि यह घटना 2017 की है। 2020 में राजस्थान की गहलोत सरकार ने मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) के खिलाफ कानून बनाया।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद केंद्र सरकार ने कोई कानून नहीं बनाया। 9 जुलाई के इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट है कि पंजाब पुलिस ने एक ऐसे व्यक्ति को अरेस्ट किया है जो 50 से अधिक वीडियो के ज़रिए फेसबुक पर हिंसा भड़काने का प्रयास कर रहा था। उसने विशेष समुदाय के लोगों को हिंसा का निशाना बनाने के लिए इन वीडियो का सहारा लिया।

हम आपसे यह सब इसलिए साझा कर रहे हैं ताकि आप समझ सकें कि मीडिया रिपोर्टिंग में संतुलन कैसे लाएं। दूसरी तरफ पुलिस की जिम्मेदारी है कि वह मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) की घटना को नकारने में न उलझे, बल्कि मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) को हर हाल में रोकने की कोशिश करे।

हम सभी पत्रकार साथियों से भी अपील करना चाहते हैं कि अगर किसी रिपोर्टिंग से समाज में तनाव फैलता है तो पुलिस के पास कार्रवाई का पूरा अधिकार होना चाहिए। लेकिन इन मामलों में ऐसा न हो कि जो लोग हिंसा भड़काने में लगे हैं, वे बच जाएं और पत्रकारों पर कार्रवाई हो।

यह आर्टिकल रवीश कुमार जी के वीडियो का ट्रांसक्रिप्शन है। इसका पूरा क्रेडिट रवीश कुमार ऑफिसियल को जाता है।

रवीश कुमार जी का वीडियो यहाँ देखे और उनके चैनल को ज्वाइन करें। धन्यवाद।

Recent Posts

Explained: The new CBSE Class 10 board exam system and how it will work from 2026 – Times of India

CBSE’s two-exam plan for Class 10: What changes from 2026 and who it benefits NEW…

2 hours ago

WATCH: Yashasvi Jaiswal takes England fans’ mocking like a champ – dances it off! | Cricket News – Times of India

Yashasvi Jaiswal dances in front of the England supporters during the first Test at Headingley.…

8 hours ago

‘Undue Prominence’: Tamil Nadu Minister Slams Centre Over Sanskrit Bias, Announces Textbook Revisions

Last Updated:June 24, 2025, 22:47 ISTTamil Nadu school education minister Anbil Mahesh Poyyamozhi said an…

21 hours ago

Novo Nordisk Debuts Weight Loss Drug Wegovy In India, Starting At Rs 4,300: Country Chief To News18

Last Updated:June 24, 2025, 17:03 ISTWegovy, to be in pharmacies by the end of June,…

1 day ago

If India uses water as weapon, Pakistan is ready to fight, says Bilawal – Times of India

Bilawal Bhutto Zardari (Image credit: ANI) Former Pakistan foreign minister Bilawal Bhutto Zardari issued a…

1 day ago

Iran launches missile attacks on U.S. bases in Qatar and Iraq

Traces are seen in the sky after Iran’s armed forces say they targeted The Al-Udeid…

2 days ago